लाइलाज पीड़ा से जूझ रही काजल की जिंदगी बनी संघर्ष की मिसाल, पिता की उम्मीदें अब भी ज़िंदा!
'एक बाप की तपस्या': बेटी के इलाज को साइकिल से घर-घर फेरी लगाते हैं दिनेश भारती!
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज कुमार सिंह: महज पांच वर्ष की उम्र से एक अज्ञात एवम लाइलाज बीमारी से ग्रस्त होकर उसकी असहय पीड़ा से जूझ रही,मांझी के घोरहट मठिया निवासी दिनेश भारती की 23 वर्षीया पुत्री काजल कुमारी तिल तिल कर मौत के मुँह में समाती जा रही है। पटना के पीएमसीएच तथा बीएचयू वाराणसी सहित दर्जनों स्थानों पर इलाज के लिए भगदौड़ करके लाखों रुपये गंवा चुके परिजन अब थक गए हैं। बीमार काजल की माता सुशीला देवी ने बताया कि उनकी बेटी का मुँह धीरे धीरे बन्द होता चला जा रहा है जिससे उसे खाना खिला पाना भी एक चुनौती बनती जा रही है। उन्होंने बताया कि अब तो उसका सोना,बैठना तथा उसे शौच कराना बेहद कठिन होता चला जा रहा है। युवती के पिता ने बताया कि पाँच वर्ष की उम्र में काजल के गर्दन पर निकली एक गिल्टी के इलाज से ही शुरू हो गया था इस अंतहीन पीड़ा का सिलसिला जो दिन ब दिन नासूर बनता चला जा रहा है। युवती का ढांचा लगातार दाहिनी तरफ झुककर धनुषाकार बन गया है जिसकी वजह से वह महज दस बीस कदम ही पैदल चल पाती है। घोरहट पँचायत के मुखिया प्रतिनिधि शैलेश्वर मिश्रा ने बताया कि तकनीक एवम विज्ञान के इस युग में भी युवती की बीमारी के नाम तक का पता नही लग पाना तथा सरकार द्वारा अबतक उसके तकनीकी इलाज की ब्यवस्था नही कर पाना बेहद चिन्ता का विषय है।
साइकिल से फेरी करके महज कुछ पैसे कमाकर आठ लोगों की परवरिश के साथ साथ इलाज की ब्यवस्था करना बीमार युवती के पिता के लिए किसी तपस्या से कम नही है। ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास रखने वाले दिनेश भारती को अब भी भरोसा है कि उनकी पुत्री के इलाज की कोई न कोई ब्यवस्था मेडिकल में उपलब्ध है तथा वे उस सुविधा को अंततः ढूंढ ही लेंगे।