जीउतिया के अवसर पर महिलाओं को रामघाट पर स्नान करना होगा कठिन!
सारण (बिहार) संवाददाता संजीव शर्मा: मंगलवार से दो दिवसीय जीवित्पुत्रिका व्रत सह जीउतिया पर्व की शुरुआत हो गई। मंगलवार की सुबह ही बड़ी संख्या में महिलाएं पवित्र सरयू नदी में स्नान कर मडुआ की लिट्टी तथा नोनी और झिगुणी की सब्जी खा कर जिउतिया पर्व की विधिवत शुरुआत की।
बता दें कि बुधवार को शादीशुदा महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए 24 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी, जबकि गुरुवार को सुबह व्रती महिलाएं स्नान तथा पूजा अर्चना के पश्चात पारण करेंगी।
क्यों मनाते हैं जिउतिया व्रत।
उक्त व्रत पर भगवान जीमूतवाहन की पूजा का विधान है,जो असल में एक गंधर्व राजकुमार थे। एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा जीमूतवाहन ने अपने साहस और सूझबूझ से एक मां के बेटे को जीवनदान दिलाया था। तभी से उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाने लगा और माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए जीवित पुत्रिका नामक व्रत रखने लगीं।
घाट पर है कीचड़!
सरयू नदी में आई बाढ़ के उतरने के बाद माँझी के रामघाट पर कींचड़ का साम्राज्य उत्पन्न हो गया है। बता दें कि उक्त घाट पर बुधवार को यूपी तथा बिहार की हजारों व्रती महिलाएं सरयु नदी में स्नान करने आएंगी जिन्हें इस बार कींचड़ से जूझना पड़ेगा। बावजूद इसके स्थानीय नगर पँचायत द्वारा व्रतियों की सुरक्षा एवम सुविधा के लिए व्यापक तैयारी की जा रही हैं।