पितृ दिवस पर दिव्यालय में हुई संस्मरण गद्य गोष्ठी प्रतियोगिता!
बेतिया (बिहार): दिव्यालय साहित्य यात्रा पटल पर रविवार के भौतिकवादी संचार तंत्र के आभासी पटल पर पितृ दिवस पर पिताओं को नमन करते हुए दोपहर तीन बजे से विशिष्ट संस्मरण गद्य गोष्ठी का आयोजन पटल संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या, पटल संरक्षक व कार्यक्रम अध्यक्ष राजकुमार छापड़िया कुँअर, विशिष्ट अतिथि जितेंद्र मिश्रा भास्कर, मुख्य अतिथि राजश्री शर्मा के साथ पटल के अन्य पदाधिकारियों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ रीता लोधा के वक्तव्य से आरंभ हुआ, जिसमें सभी पदाधिकारियों को आहूत किया गया। राजकुमार छापड़िया कुँवर के दीप प्रज्वलन के साथ ही रीता लोधा ने अतुल शंखनाद कर सबके मंत्रमुग्ध कर दिया। व्यंजना आनंद मिथ्या ने स्वरचित मधुर वाणी में वागीश्वरी देवी की लाजवाब वंदना प्रस्तुत की जिससे पूरा पटल भक्तिमय हो गया।
रीता लोधा व डॉ. मधु रूंगटा ने पिता की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालते हुए बेहद खूबसूरत शब्दों व दोहों के माध्यम से अनूठा मंच संचालन किया।
आज की संस्मरण गद्य गोष्ठी स्वयं में अनूठी व उत्कृष्ट रही जिसमें सभी साधकों व गुरुजनों ने अपने पिता की सुमधुर स्मृतियों को शब्दों में संजोकर प्रस्तुत किया। अरुणा अग्रवाल अनुदिता, ललिता अग्रवाल, प्रेम शर्मा, ममता अग्रवाल, कमला सिंह, सुनीता परसाईं, सुचिता रूंगटा साईँ, नीलम अग्रवाल, नेहा भारतीय स्नेहिल, मंजु बंसल, मनीषा अग्रवाल प्रज्ञा के साथ-साथ गुरुवर कविता झा काव्या, निशा अतुल्य, व कविता जी ने अपने पिता के साथ बिताये अनमोल पलों के साथ अविस्मरणीय व प्रेरणादायी संस्मरण सुना कर पिताओं को समर्पित किया व पूरे पटल को अपनी भावनाओं व यादों से सींचित कर दिया।
तदुपरान्त विशिष्ट अतिथि जितेंद्र मिश्र भास्कर ने पटल संस्थापिका व अन्य पदाधिकारियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुये अपने वक्तव्य में कहा कि यह कार्यक्रम स्वयं में अनूठा व उत्कृष्ट रहा। पिता के बारे में सभी साधकों ने संस्मरण में अपने अन्तर्मन के भावों को पिरोया है। साथ ही संचालनकर्ताओं की लाजवाब संचालन के लिये कोटिशः सराहना की।
कार्यक्रम मुख्य अतिथि राजश्री शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम मातृ ऋण, पितृ ऋण व गुरु ऋण कभी नहीं चुका सकते पर पिता के साथ व्यतीत किये गये वर्ष माता की कोख के नौ महीनों पर भारी पड़ जाते हैं क्योंकि पिता अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा सिखाते हैं। ये संस्मरण हमारी ज़िंदगी की धरोहर हैं जो भावी पीढ़ी को भी कर्तव्य पथ पर अग्रसर होने में सहायक होते हैं।
तत्पश्चात् कार्यक्रम अध्यक्ष राजकुमार छापड़िया कुँअर ने कहा कि इस तरह की संस्मरण पर आधारित गद्य गोष्ठी स्वयं में बेमिसाल व अनूठी है व आगे भी होती रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्मरण सुनते हुये सबको अपने पिता की यादों ने भावुक कर दिया। लग रहा था कि चलचित्र की भाँति नेत्रों के समक्ष दृश्य उभर रहे हैं।
अंत में पटल संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद करते हुये कहा कि सचमुच आज का कार्यक्रम बेहद सुंदर व हृदय को झकझोर देने वाला था। सभी साधकों को धन्यवाद देते हुये कहा कि उनकी लगन, श्रम ही उनको व दिव्यालय को ऊँचाइयों के सोपान पर ले जा रही है। पिता ही संतति के अन्तस में हौंसलों की उड़ान पर उड़ने का जज्बा उत्पन्न करते हैं। माँ ममता की मूरत है तो पिता अनुकरणीय व स्मरणीय हैं। इस अनूठी प्रतियोगिता के परिणाम मुख्य अतिथि राजश्री शर्मा, विशिष्ट अतिथि जितेंद्र मिश्र भास्कर और कार्यक्रम आयोजिका सविता खण्डेलवाल 'भानु' के निर्णय पर हुआ, जिसमें- प्रथम ललीता अग्रवाल, द्वितीय प्रेम शर्मा व तृतीय - नीलम अग्रवाल रही। अंत में उन्होंने सबको धन्यवाद करते हुये कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की।