कृषि विज्ञान केन्द्र मांझी के द्वारा भूमि समतलीकरण का कार्य प्रारम्भ!
सारण (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: बदलते वक्त के साथ खेती में क्रांतिकारी बदलाव हो रहा है। किसान अब फसलों की बेहतर पैदवार के लिए पारंपरिक तरीकों को छोड़कर यांत्रिक खेती की ओर बढ़ चले हैं। नई तकनीक के उपयोग से जहां फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है, तो वहीं लागत मूल्य में भी कमी आ रही है। किसानों के द्वारा खेती करने के ट्रेंड को बदलने में आधुनिक कृषि संयंत्र अहम भूमिका निभा रहा है।
इसी क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र मांझी सारण के द्वारा जलवायु अनुकूल खेती के अंतर्गत भूमि समतलीकरण का कार्य पांच दत्तक गांवों (मंझवालिया, सम्हौता, डुमरी, धरहरा एवं रामनगर) में किया जा रहा है। भूमि समतलीकरण से आशय है ऊंची-नीची ज़मीन को बराबर करके उसकी मेंड़ को बांधना ताकि ज़मीन की उर्वरा शक्ति एवं जल धारण क्षमता बढ़े। भूमि एवं जल प्रबंधन की यह एक पुरानी व कारगर परंपरा है, जो खेती के आधुनिक दौर में बहुत प्रचलन में नहीं है। परंतु आज जब पानी की एक-एक बूंद महत्वपूर्ण है, इस परंपरा को पुनः प्रचलन में लाना अति आवश्यक हो गया है और इसी दिशा में प्रयास करते हुए इसे प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
समतलीकरण में लैंड लेजर लेवलर का उपयोग होता है। संस्था के प्रधान डॉ अभय कुमार सिंह ने बताया कि लेजर लेवलर द्वारा भूमि समतल करने से पानी का अधिकतम उपयोग होता है और 40% तक पानी की बचत कर देता है। निराई गुड़ाई की लागत को भी कम किया जा सकता है। पूरे खेत में पानी की सही से निकास और समान पानी का वितरण होता है एवं जल संसाधनों का आसानी से कुशल उपयोग कर सकते है। खेतों में एक समान बीज का जमाव और फसल की वृद्धि होता है। कृषि अभियंत्रण के वैज्ञानिक डा सौरभ शंकर पटेल ने बताया कि यह मशीन बहुत ही उन्नत किस्म की है और इसमें लेजर और सेंसर का उपयोग कर समतलीकरण का काम आसान कर देता है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डा चैतन्य का अहम योगदान रहा है। अभी तक इस तकनीक से राजेश कुमार, शत्रुघ्न यादव, रामलगन यादव सहित लगभग 30 किसानों ने अपने 40 एकड़ खेत में उपयोग किया है।