"द मिरर राइटर पियूष गोयल"
दिव्यालय एक व्यकितत्व परिचय में हुआ साक्षात्कार!
होस्ट- किशोर जैन
रिपोर्ट- सुनीता सिंह "सरोवर"
/// जगत दर्शन न्यूज़
'अतुल्य भारत' ये नाम सुनते ही हमारी आँखों के सामने भारत की झलक नजर आने लगती है। उत्तर में खड़ा अडिग हिमालय जो बर्फ की सफेद चादर ओढ़े खड़ा है, इसके दक्षिण समुद्र और मसालों के बगान से भरपूर है। इसके पूर्व में लहरदार पहाडियाँ और बुदबदाती नदियाँ हैं और पश्चिम में white रन, रहस्यमय महल और किले हैं। इतना ही नहीं यहाँ के रहवासी कई प्रतिभाओं के धनी हैं। आज दिव्यालय अतुल्य भारत के प्रतिभा के खजाने से एक नगीना लेकर आपके सामने उपस्थित हुआ है। हमारे आज के विशिष्ट अतिथि है आदरणीय पियूष गोयल जी। आप मिरर आर्ट कहो या दर्पण छवि कहो ये तो आर्ट के स्पेशलीस्ट हैं।
कुछ अलग करने की अभिलाषा इंसान को असंभव कार्य करने के लिए भी प्रेरित कर आम से खास बना देती है।
होस्ट किशोर ने कुछ प्रश्न किए जो जानकारी आपके बीच रखी जा रही है:-
प्रश्न- सर आप कहाँ से हैं?
उत्तर- मैं नोएडा के दादरी से हूँ, मेरी पैदाइश यही हुई।
प्रश्न- आप यांत्रिक इंजीनियर हैं। आपको दर्पण छवि लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
उत्तर- बचपन से ही कुछ अलग करने की अकांक्षा और माता- पिता गुरु और दोस्तों के प्रोत्साहन ने इस अनोखे कार्य के लिए प्रेरित किया और बस दर्पण छवि ने भी एक इतिहास रचा दिया।
प्रश्न- क्या आप हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उल्टा लिख सकते हैं?
उत्तर - जी जब मेरी पहली पोस्टिंग हुई तो वहाँ मेरी नाइटसिफ्ट ड्यूटी रहती थी, तब मैं तैतीस साल का था। मेरे सिनियर ने कहा कि पियूष तू कुछ कर। यहाँ तुझे रात भर बैठना ही है, तो क्यों न कुछ सार्थक करने की कोशिश कर। बस वहाँ मैंने उल्टा लिखने का अभ्यास किया। दोनों ही भाषाओं में और बहुत जल्द अच्छी खासी स्पीड बन गयी। फिर मुझे भेट स्वरूप श्रीमद्भागद्गीता मिली थी, जिसे मैंने प्रसाद स्वरूप स्वीकारा और पहले इंग्लिश और फिर हिंदी दोनों ही भाषाओं में उल्टा लिखा। आज मेरे द्वारा लिखित भागवत गीता मथुरा म्यूजियम में रखी हुई है। इसे मैंने सात माह में पूरा किया।
प्रश्न- आप अक्सर कहते हैं कि आपके जीवन के ये साल 1982, 1987, 2000 और 2003 बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ऐसा क्यों?
उत्तर- जी जैसा कि मेरे पिता का तबादला होता रहता था। उसी दौर में जब मैं कक्षा 8 वी में था, तो सिंडिकेट बैंक के मैनेजर जो कि मेरे पिता के बहुत अच्छे मित्र थे। उन्होंने मुझे देखा और कहा कि बेटा तीन दिन बाद आप मेरे पास आना मैंने कुछ बनाया है। आपके लिए, और जब मैं वहाँ अपने छोटे भाई के साथ पहूँचा तो मैंने देखा उन्होंने एक स्टैप एलबम तैयार किया था। वो दिखाते हुए मुझे कहा ऐसे और भी स्टैप कलेक्ट करो और मुझसे मिलते रहना इस तरह से मैं कह सकता हूँ, कि वही से मुझमें ये जुनून जगा की जीवन में कुछ खास करना चाहिए।
साल 1987 में मेरा एक्सीडेंट हुआ बहुत गंभीर चोट आई, लेकिन ईश्वर की मेहर मातु- पिता के आशीर्वाद और अपनों के सहयोग से वह समय भी कटा। उसी समय मैंने भागवत कथा को भी उल्टा लिखना शुरू किया।
प्रश्न- सर आप अपनी उम्र के कौन से साल से उल्टा लिख रहे हैं?
उत्तर- जी मैं जब तैतीस वर्ष का था तभी मैंने पहली दफा उल्टा लिखने का अभ्यास किया।
प्रश्न- आपने पहली उल्टी किताब भागवत गीता लिखी, इसे लिखने में कितना वक्त लगा?
उत्तर- जी मैंने इसे सात महीने में पूरा किया और पीले रंग का अलग ही महत्व होता है, इसलिए मैंने इसे पीले रंग में लिखा।
प्रश्न- आपको हरिवंश राय बच्चन जी की मधुशाला को सुई से लिखने की सलाह किसने दी या आपने अपने मन की सुनी?
उत्तर- जी अधिकतर मैंने सारे मशहूर लेखकों की कालजयी कृतियों को ही अलग तरह से लिखा ताकि उन्हें विशिष्टता मिले लिखने वाले तो बहुत हैं, लेकिन लीक से हटकर लिखने वाले बहुत ही कम हैं।
प्रश्न- आपने गीतांजलि को कार्बन पेपर पर लिखा। हम इसका भी सीधा प्रसारण देखना चाहते हैं?
उत्तर- जी मैंने गीतांजलि को कार्बन पेपर पर लिखा। उसकी खासियत दिखाते हुए उन्होंने बताया कि इसमें एक तरफ से सीधा तो दुसरी तरफ उल्टा देखने को मिलता है।
प्रश्न- सर हिस्ट्री चैनल ने आपको पूरा 12 घंटा सूट किया उसका एक्सपीरियंस शेयर करें?
उत्तर- जी पहली बार इतने फोन किल्स कैमरा लाइट इन सबका सामना करने में एक अलग ही रोमांच था। फिर मेरे साथ- साथ मेरी पत्नी का भी तीन बार साक्षात्कार हुआ। परिवार, रिश्तेदार, दोस्त मित्र हर एक में उत्साह भरा था।
प्रश्न- आप मोटिवेशनल स्पीकर हैं। आप जाते- जाते आज के जनरेशन से क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर- जी यही की कभी विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत मत हारों। जो भी वक्त हो, चाहे अच्छा या बुरा हर वक़्त की एक सीमा होती है, और ये परेशानी तो हमे आती ही है तराशने के लिए। इसलिए डट कर सामना करें, तभी आप इतिहास के पन्नों में एक नया अध्याय जोड़ पाएंगे।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।