नवरात्र में गरबा क्यों खेला जाता है? गरबा और डांडिया में क्या अंतर हैं?
✍️डॉ कविता परिहार नागपुर
नवरात्रि मैं दुर्गा जी के 9 स्वरूपों को पूजा जाता है , मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी मां महागौरी, मां सिद्धिदात्री! इन नौ देवियों को बड़े ही श्रद्धा भक्ति से 9 दिनों तक पूजा जाता है। इस अवसर घट- स्थापना कर मनोकामना ज्योत जलाई जाती है, जो लगातार 9 दिनों तक जलती रहती है। वैसे तो वर्ष में चार नवरात्रि पड़ती है लेकिन चैत्र नवरात्रि एवं शारदीय नवरात्र मनाने का चलन पूरे भारतवर्ष में है। नवरात्रि को मौसम परिवर्तन का प्रतीक भी माना जाता है। इन दोनों पूजा- अर्चना के पश्चात गरबा एवं डांडियां खेलने का भी बड़ा महत्व है।
महिषासुर नाम का एक राक्षस राजा हुआ करता था। प्रजा उसके आतंक से बहुत त्रस्त थी। मां- जगत- जननी जगदम्बा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। राक्षस से मुक्ति मिलने पर लोगों ने 9 दिन उपवास रखा था और जश्न मनाने के लिए गरबा डांडिया नृत्य खेले जाने की प्रथा वहीं से प्रारंभ हुई गरबा का अर्थ है "गर्भदीप"। इसी को गर्भ का प्रतीक माना जाता हैं। एक छिद्र वाले घड़े पे घड़े, ऐसे नौ घड़ों में दीपक रखकर दीपक जलाकर इसके आस-पास सर्कल बनाकर गरबा नृत्य किया जाने लगा।
कब गरबा खेला जाता है?
एक बात विशेष रूप से बताना चाहूंगी कि "आरती के पहले गरबा" खेला जाता है, जिसमें हाथ की हथेलियां का उपयोग होता है। "आरती होने के पश्चात डांडिया "खेला जाता है। डांडिया मां दुर्गा की तलवार का प्रतीक है, कहीं-कहीं इसे तलवार नृत्य भी कहा जाता है।
नृत्य एक आराधना है। साथ ही एक अच्छा व्यायाम भी फिटनेस गुरु भी मान गए कि इससे अच्छा व्यायाम कोई हो ही नहीं सकता। अपनी संस्कृति की गरिमा का ख्याल रखते हुए पारंपरिक तरीके से ही मनाया जाना चाहिए। इन दिनों "माता की चौकी", और "माता का जगराता", भी भक्तों द्वारा जगह-जगह आयोजित किया जाता है। माता रानी का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहें, इस उद्देश्य से हम इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। महिलाओं को महीने भर पहले से इस त्यौहार का इंतजार रहता है क्योंकि उन्हें सजने-सवरने गीत गायन एवं नृत्य करने का शुभ अवसर प्राप्त होता है। वही तन के साथ- साथ मन भी स्वस्थ हों जाता है।