कइसे मिलल आजादी : अजय सिंह अजनवी
अइसे ही नइखे मिलल ,
आजादी खेल खेल में
ले ले ई बहुतों के कुर्बानी,
तब जा के मिलल बा आजादी।
ना जानें कतना लोग ,
आपन प्राण गवइले ,
रानी लक्षमी बाई 1857 में,
अंगेजन से लोहा लेली ,
मंगल पांडेय बैरक पुर में ,
सैनिक विद्रोह कइले
तब जलल आजादी के चिनगारी,
अइसे ही ना मिलल बा आजादी।
अस्सी बरस के उमर में,
बाबू कुँवर सिंह अंगरेजन से लोहा लेलन,
तब अपने हाथे आपन प्राण गवलन ,
अइसे नइखे मिलल बा आजादी ।
राजगुरु, भगतसिंह आउर सहदेव हँस के
फाँसी पर झूल गईले
तब जाकें मिलल बा आजादी,
अइसे नइखे मिलल बा आजादी।
तब चन्द्रशेखर अंग्रेजन के,
नाकों चना चबइलन ,
कबहुँ ओकर हाथ ना अइलन ,
जब समय आइल खुदे ,
गोली से प्राण गवईलन
अइसे ना मिलल आजादी।
ओकरा बाद गाँधी, सुभाष ,
लाला राजेन्द्र जयप्रकाश
आउर मजरुल हक के साथ साथ
ना जानें कतना अलख जगइलें ,
कतना जतन से मिलल आजादी ,
अइसे ना मिल गइल खेल खेल में आजादी।
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