प्रेमचंद: आज भी प्रासंगिक
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर श्रद्धांजलि
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद विश्व के प्रसिद्ध कथाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं। साहित्य के आकाश में आप चांद और सूरज की तरह कई सदियों तक प्रकाशमान रहे है। आपने समाज की विभिन्न वर्गों की समस्याओं के लिए यथार्थ से जुड़े कई कथाएं और  कहानियां प्रस्तुत किया है। आरंभ के दिनों में आपकी लेखनी उर्दू की शैली रही। आपकी अनेक कहानियां आज भी हम सभी के  मनोमस्तिष्क में कब्जा किए हुए है। जैसे नारी प्रधान कहानी - सुभागी है जहां। आप लिखते हैं कि पुत्र को रत्न समझा था और पुत्री को कर्मों का दंड। वही दंड आज हमारे लिए सुकर्म की जननी बन गई। संपूर्ण भारत में आज भी यह कहानी पढ़ी और सराही जाती है। आपकी अमर हो चली कहानियां जैसे मृतक भोज, सुभागी, कफन ईदगाह, दो बैलों की जोड़ी, पूस की रात आदि तमाम कथाएं यथार्थ से जुड़ी तथा प्रासंगिक है। ग्रामीण परिवेश की रूपरेखा से आपने समझाया और हमे बताया कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। आज आप हमारे बीच नहीं है, लेकिन ये कथाएं, कहानियां आज भी आपके होने का एहसास कराती है। हम आपके चरणों की वंदना बारंबार करते हैं। हम आपके जन्म दिवस पर आपको सच्ची और भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते है।
   कथा सम्राट मुन्शी प्रेम चंद जिन्होंने  अपनी लेखन विधा में किसी भाषा को  दीवार नहीं बनाया। पहले  पहल वे मीठी जुब़ान उर्दू में लिखा करते थे। इंसान व इंसानियत को  उन्होने जाति व धर्म में  नहीं बाँटा। 
       हमें उनकी कहानियों में ऐसे ही  आदर्श की झलक दिखाई देती है। यथार्थ  का चित्रण बखूबी किया। अपने विचार  हकीकत की कठोर भूमि पर रखा। ग्रामीण परिवेश को आँखों में यूँ उतारते कि पाठक पढ़ते वक्त खुद को गाँव की सरज़मीन  पर पाते। 
   गरीबी अभाव की सत्य कड़वाहट को  उनकी कलम की जादूगरी ने बखूबी उकेरा। आपकी अमर कथाएं कफन, ईदगाह, हार की जीत, सुभागी, गरीब की हाय 
आदि अनेक कहानियां है, जो  यादों में  छप जाती हैं। आपकी लेखनी को कोटी। कोटी प्रणाम नमन है।। 
:किरण बरेली 
(वरिष्ठ सलाहकार जगत दर्शन न्यूज़)


