विश्व तम्बाकू निषेध दिवस-
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों ने ली तंबाकू नहीं खाने की शपथ!
सरकार द्वारा बनाए गए कानून "कोटपा" की जानकारी पहुंचाना इसका मुख्य उद्देश्य: सिविल सर्जन
तंबाकू का उपयोग कैंसर बीमारी होने की सबसे बड़ी वजह: एनसीडीओ
सिवान (बिहार): स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी और कर्मियों सहित सदर अस्पताल के कर्मियों ने एक स्वर से कहा कि अपने पूरे जीवन काल में न तो कभी तंबाकू का सेवन करूंगा और न ही किसी अन्य को इसके लिए उत्साहित या प्रेरित करूंगा। कुछ इसी तरह से सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में आयोजित विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर तंबाकू सेवन ना करने की शपथ ग्रहण समारोह के दौरान गूंज सुनाई दी। हालांकि जिला सहित जिले के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों द्वारा जीवन में कभी भी तंबाकू का उपयोग नहीं करने के लिए शपथ लिया गया। आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद, प्रभारी एनसीडीओ डॉ ओपी लाल, डीआईओ डॉ अरविंद कुमार, डीपीएम विशाल कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ अहमद अली, यूनिसेफ के एसएमसी कामरान अहमद, यूएनडीपी के मनोज कुमार, प्रभारी एफएलसी इमामुल होदा, एनसीडी के डेटा ऑपरेटर मनीष कुमार, सदर अस्पताल परिसर स्थित ओपीडी में कार्यरत होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च मुजफ्फरपुर की चिकित्सक डॉ श्रेया और डॉ अंशु कुमार सिंह, डीटीओ प्रणव सिंह, फार्मासिस्ट आनंद वर्मा सहित सदर अस्पताल की जी एन एम उपस्थित रही।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने कहा कि वैश्विक स्तर पर लोगों को होने वाली गंभीर बीमारियों की मुख्य वजह तंबाकू का सेवन है। क्योंकि तंबाकू सेवन के प्रति आज कल के लोगों में सबसे ज्यादा कम उम्र के बच्चों में खासा रुचि देखी जा रही है। लिहाज़ा तंबाकू का सेवन गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देने के जैसा ही है। जिसमें कैंसर मुख्य बीमारी है। जिसको लेकर इससे संबंधित जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक वर्ष 31 मई को पूरे विश्व में तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को तंबाकू सेवन से रोकने और इसके लिए सरकार द्वारा बनाए गए कानून "कोटपा" की जानकारी पहुंचाना है। शैक्षणिक संस्थानों के आसपास किसी भी तरह के तंबाकू पदार्थों की बिक्री पर पूर्णतः रोक है। भारत में स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध है। अगर इसका अनुपालन नहीं किया गया तो कानूनी प्रावधान के तहत सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) 2003 के तहत किसी भी शैक्षणिक संस्थान की बाहरी सीमा के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री, प्रस्ताव या अनुमति देना कानूनन निषिद्ध है। क्योंकि तंबाकू उत्पादों की बिक्री करना दंडनीय अपराध है, जिसमें ₹200 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्रभारी जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी (एनसीडीओ)
डॉ ओम प्रकाश लाल ने कहा कि तम्बाकू सेवन बहुत सी नुकसानदायक और बीमारियों की जड़ है। कैंसर जैसी बीमारी तंबाकू के सेवन से ही होती है। फेफड़ों की बीमारियां जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस व एम्फिसेमा होने की मुख्य वजह धूम्रपान ही है। क्रोनिक यानी लम्बे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े एवं सांस की नली के कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। दुनिया में कैंसर से होने वाली मृत्यु में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है। जिसका मुख्य वजह अत्यधिक धूम्रपान का करना है। जैसे - खैनी, पुड़िया, जर्दा, पीला पत्ती आदि के सेवन से मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) की संभावना बनी रहती है। इन सभी तरह की रोगों को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए धूम्रपान का खत्म होना ही सबसे बड़ा और पहला विकल्प है। तंबाकू सेवन को रोकने के लिए सरकार द्वारा तंबाकू नियंत्रण अधिनियम "कोटपा" लागू किया गया है। कोटपा के तहत तंबाकू के गलत इस्तेमाल करते हुए पकड़े जाने पर लोगों को धारा 4, 5, 6 तथा 7 के तहत कानूनी कार्यवाही व आर्थिक दंड वसूला जा सकता है।
तम्बाकू नियंत्रण अधिनियम (कोटपा) के तहत तय किया गया कानून-
सार्वजनिक स्थानों पर धारा -4 के तहत धूम्रपान करने पर 200 रुपये का जुर्माना देय है।
तंबाकू पदार्थों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर धारा - 5 के तहत 1 से 5 साल की कैद व 1000 से 5000 तक का जुर्माना देय है।
18 वर्ष से कम आयु वर्ग के अवयस्कों को तंबाकू पदार्थ बेचने वालों को धारा - 6 के तहत 200 रुपये जुर्माना लगाया जाता है।
बिना चित्रित व पैकेट के 85% भाग पर मुख्य रूप से न छपे वैधानिक चेतावनी के तंबाकू पदार्थ बेचने पर धारा - 7 के तहत 2 से 5 साल की कैद व 1000 से 10000 तक जुर्माना लगाया जा सकता है।