पर्यावरण दिवस पर आरजेएस का 368वां कार्यक्रम आयोजित, कविता और विचारों से दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश!
/// जगत दर्शन न्यूज
नई दिल्ली। विश्व पर्यावरण दिवस और गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर आरजेएस पॉजिटिव मीडिया और हिंदी महिला समिति, नागपुर के सहयोग से आरजेएस का 368वां कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम में देश-विदेश के पर्यावरणप्रेमियों, कवियों और विशेषज्ञों ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर अपनी बात रखी। कार्यक्रम की शुरुआत आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने संस्कृत श्लोक और गंगा पूजन के साथ की।
हिंदी महिला समिति की अध्यक्ष रति चौबे ने मानव स्वार्थ के कारण पर्यावरणीय संकट पर कविता पाठ कर भावी पीढ़ी के सामने उठने वाले सवालों को सामने रखा। अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त डॉ. छाया श्रीवास्तव ने एक वृक्ष के दृष्टिकोण से मार्मिक कविता सुनाई, वहीं चंद्रकला भारतीय ने “सुनो धरा की करुण पुकार” शीर्षक से कविता में पर्यावरणीय गिरावट को दर्शाया।
कार्यक्रम में मलेशिया की लेखिका अपजिता राजौरिया, लखनऊ की गार्गी जोशी, नागपुर की रश्मि अवस्थी और कविता परिहार, इलाहाबाद की रश्मि मिश्रा, दिल्ली की सरिता कपूर, भगवती पंत, सुषमा अग्रवाल, हैदराबाद की निशा चतुर्वेदी समेत कई कवियों ने कविता, गीत और विचार प्रस्तुत किए। इन प्रस्तुतियों में पर्यावरणीय संकट, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण जैसे मुद्दों को रचनात्मक ढंग से सामने लाया गया।
वेबिनार के पॉजिटिव मीडिया सत्र में त्रिपुरा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विशेषज्ञ प्रो. चंदन घोष ने प्लास्टिक और माइक्रोप्लास्टिक के जल स्रोतों पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने भारतीय रेलवे द्वारा अपनाई गई पर्यावरण अनुकूल भस्मीकरण तकनीक का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। राजस्थान के पर्यावरणविद् कान सिंह निरवान ने पारंपरिक जीवनशैली अपनाने और गाय, जल और पृथ्वी को एक मानने का दर्शन साझा किया। वहीं प्रकृति भक्त फाउंडेशन के राजेश शर्मा ने जीवन को पूर्ण रूप से प्रकृति से जोड़ने की बात कही और "विचारों के प्रदूषण" को भी चिंताजनक बताया।
कार्यक्रम के अंत में आयोजक उदय मन्ना ने आगामी योजनाओं की घोषणा की, जिसमें 14-15 जून को बुजुर्गों पर केंद्रित कार्यक्रम, 22 जून को योग दिवस का आयोजन, और आरजेएस ग्रंथ-5 का विमोचन शामिल है। उन्होंने अगस्त 2025 में आजादी का महोत्सव ‘टीफा’ को वैश्विक स्तर पर मनाने की भी जानकारी दी, जिसमें भारत के साथ-साथ विदेशों में रहने वाले आरजेसियंस भी भाग लेंगे। साथ ही माउंट आबू की संभावित आध्यात्मिक यात्रा की योजना भी सामने रखी गई।
यह कार्यक्रम कविता, संगीत और विचारों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने का एक प्रेरणादायक प्रयास रहा, जिसमें प्रकृति से जुड़ने और जीवन को सकारात्मक दिशा देने की बात कही गई।