सेवा कुटीर की देखभाल से मानसिक रूप से व्यथित मनोज गिरी को मिला नया जीवन, भाई के साथ लौटे घर!
सारण (बिहार): छपरा में सेवा कुटीर की मदद से एक बेसहारा और मानसिक रूप से व्यथित व्यक्ति को न केवल छत और देखभाल मिली, बल्कि उसका बिछड़ा परिवार भी मिल गया। मनोज गिरी (कार्तिक गिरी), पिता प्रसाद गिरी, ग्राम+पोस्ट–पानापुर अख्तियारपुर, थाना – करजा, जिला – मुजफ्फरपुर, जो 4 जुलाई 2024 को छपरा बायपास पर भिक्षावृत्ति करते पाए गए थे, उन्हें फील्ड कोऑर्डिनेटर और केयर टेकर की मदद से सेवा कुटीर में लाया गया।
सेवा कुटीर में पहले उन्हें स्नान कराया गया, नए कपड़े दिए गए और भोजन की व्यवस्था की गई। बातचीत के दौरान वे मानसिक रूप से कुछ व्यथित प्रतीत हुए, जिस पर उन्हें डॉक्टर से दिखाया गया। नियमित दवा और देखभाल के चलते धीरे-धीरे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार आया। स्वास्थ्य लाभ के बाद उन्होंने अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि साझा की, जिसमें बताया कि वे पहले अपने पिता के साथ जजमानिका का कार्य करते थे। 2014 में माता-पिता के निधन और पत्नी के अलग हो जाने के बाद वे मानसिक अवसाद में चले गए और घर छोड़कर इधर-उधर भटकते रहे।
लगभग चार वर्षों से घर से पूरी तरह संपर्क टूट जाने के बाद सेवा कुटीर के क्षेत्र समन्वयक ने लगातार उनके परिजनों की खोजबीन जारी रखी। अंततः उनके छोटे भाई संतोष गिरी से संपर्क हुआ, जो अब खुशी-खुशी अपने बड़े भाई को घर ले जा रहे हैं।
यह घटना इस बात का जीवंत उदाहरण है कि यदि सही समय पर संवेदनशीलता और समर्पण के साथ मदद मिले तो बेसहारा व्यक्ति भी फिर से सामान्य जीवन की ओर लौट सकते हैं।